तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या खादी का ही होना चाहिए।प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही हैं।
(2)
किसी भी स्तिथि में फटे या क्षतिग्रस्त झंडे को नहीं फहराया जा सकता है।
(3)
चाहे कुछ भी हो जाए तिरंगा ( झंडा ) जमीन से छूना नहीं चाहिए।
(4)
इस ध्वज को डिजाइन करने वाले एक किसान व स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वैंकैया थे।
(5)
हम अपने राष्ट्रीय ध्वज को “तिरंगा” नाम से भी सम्बोधित करते हैं, जिसका मतलब तीन रंग हैं, केसरिया, सफ़ेद और हरा।
(6)
इन तीनों रंगों का मतलब भी अलग-अलग हैं…
केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है,
सफ़ेद या श्वेत रंग सच्चाई, शांति और पवित्रता का प्रतीक है,
हरा रंग सन्पन्नता का प्रतीक है।
(7)
तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा।
जिसका अनुपात 3 : 2 ही होगा।
(8)
अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं।
(9)
झंडे का यूज़ किसी भी प्रकार के सजावट के सामान में नहीं हो सकता।
(10)
22 दिसंबर 2002 के बाद लोगो को अपने घरों या आफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति मिली।
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