सर्दी का मौसम था। रात हो चुकी थी घर आते-आते आज मेरी सब्जी लोगो ने कम खरिदि, मैं बहुत निराश हो चुका था । निराश मन के कारण सोचते-सोचते ठेला लुड़काते हुए घर पहूँचा| मैंने अपनी पत्नी को कहा- अहे। मंजा ला रे.....। शाम के सात बज चुके थे घर में अभी तक खाना नहीं बना तो मैंने अपनी पत्नी से कहा "खाना काहे नहीं बनाया तो जो जवाब मिला वो क्या ही बताऊ । पूरी रात भर भूखे ही सोना पड़ा, खेर नींद तो नहीं आई। इधर से पूरे दिन इस बड़े शहर में घुम आया और किसी ने सब्जी नहीं ली साथ ही घर आने पर भूखे पेट ही सोना पड़ा | खैर किसी तरह चार बजे और मैं जागकर सब्जी लाने चल पड़ा पूरे दिन घूमते-घूमते थक गया,आज कुछ सब्जिया बिकी फिर मैं शाम करीब चार बजे बाजार जाकर कुछ गेहूं का आटा, मिर्ची, नमक लाया । आज घर पहुंचकर भरपेट खाना खाया | करीब आठ बजे किराये वाले ने घर का दरवाजा खटखटाया "अरे! रामलाल घर मे हैका " मैं घबराता हुआ गया। किराये वाले ने कहा 'भई रामलाल दो महिने हो गये अब ओर मोहल्त नहीं मिलेंगी चल 200 रु किराया दे या घर खाली कर दे| मैं किराया कहा से देता जो कमाई हुई उस से खाने का सामान ले ...
Know amazing facts in hindi